पढ़ो पढ़ाओ देश बनाओ - Literacy can't wait during this global crisis

एक बार की बात है, रेवती नाम की एक लड़की थी। उसके पिता दर्जी थे और उसकी माँ एक गृहिणी थी। वह बहुत गरीब थे | रेवती पाँच साल की हो गई थी और उसके स्कूल जाने का वक्त हो गया था । वह आसाम के एक गाँव में रहती थी, जहाँ लड़कियों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता था और उन्हें घर के काम करने को कहा जाता था | लेकिन उसके माता-पिता हमेशा चाहते थे कि वह पढ़ाई करे, स्वतंत्र होकर सभी सुख-सुविधाओं के साथ जीवन व्यतीत करे और एक आरामदायक जीवन जिए। वे अपना पेट काट कर उसे अच्छी शिक्षा देने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने उसे आसाम के एक अच्छे स्कूल में दाख़िला दिलाया जहाँ उसे पढ़ाई व खेल कूद के सभी अवसर प्रदान किए जाते । जब उसने स्कूल जाना शुरू किया तो उसे बहुत अच्छा लगा, लेकिन जैसे-जैसे साल बीतते गए, उसने धीरे-धीरे पढ़ाई में रुचि खो दी और स्कूल छोड़ने का फैसला किया, क्योंकि उसे पढ़ाई पसंद नहीं आ रही थी। जब वह पाँचवीं कक्षा में आई, तो उसने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और अपने माता-पिता से कहा कि वह घर पर उनकी मदद करेगी और छोटे बच्चों के साथ खेलेगी| उसके माता-पिता बहुत दुखी थे क्योंकि पढ़ाई के बिना वह अपना जीवन कैसे व्यतीत करेगी और अपनी आजीविका कैसे चलाएगी| उसके माता-पिता ने उसे बहुत मनाया लेकिन उसे कोई दिलचस्पी नहीं थी। वह अपनी माँ की मदद करती थी और गाँव में दूसरी लड़कियों के साथ घूमती रहती थी| दस साल बाद, जब वह अठारह  साल की हो गई तब वह अपने परिवार को आर्थिक सहारा देना चाहती थी और उसने नौकरी की तलाश शुरू कर दी| उसके माता-पिता बूढ़े हो रहे थे, इसलिए उसे बुनियादी ज़रूरतों के साथ जीवन जीने के लिए पैसे कमाने की जरूरत थी| जब वह नौकरी की तलाश में गई, तो कोई उसे नौकरी पर नहीं रखता था क्योंकि उसने कभी अपनी उच्च शिक्षा नहीं ली। ठुकराए जाने और काम पर नहीं रखे जाने के बाद वह बहुत दुखी हो गई। इस बिंदु पर, उसके माता-पिता ने उसे बताया कि जीवन में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। "उन्होंने बताया कि जब आप छोटे थे, तब आपने शिक्षा को गंभीरता से नहीं लिया था | शिक्षा हमें हमारे आसपास की दुनिया का ज्ञान देती है और इसे कुछ बेहतर में बदल देती है।यह हमारे अंदर जीवन को देखने का एक दृष्टिकोण विकसित करती है।शिक्षा हमारे जीवन को बेहतर बनाने और बदलने का एक हथियार है| हर बच्चे की शिक्षा घर पर शुरू होती है। यह एक आजीवन प्रक्रिया है जो मृत्यु के साथ समाप्त होती है। शिक्षा आपके जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शिक्षा लोगों के लिए रोज़गार की संभावनाओं को प्रभावित करती है। एक उच्च शिक्षित व्यक्ति को एक अच्छी नौकरी मिलने की बहुत संभावना है। यह उन्हें नई चीजें सीखने, अच्छी नौकरियाँ खोजने और समाज में सम्मान जनक जीवन जीने में मदद  करती है।" यह सब सुनने के बाद, वह रोने लगी, उसके माता-पिता ने उसे सांत्वना दी और उससे कहा कि “यदि तुमने अपनी पढ़ाई जारी रखी होती तो तुम बहुत पढ़ी लिखी होती। उसने तभ से पढ़ाई फिर से शुरू करने का निर्णय लिया क्योंकि शिक्षा उम्र की मोहताज नहीं होती| पढ़ाई किसी भी उम्र में करी जा सकती है| इस दिन से, उसने शिक्षा का महत्व समझ लिया और अध्ययन करने के लिए दृढ़ हो गई। उसने शिक्षा को गंभीरता से लेना शुरू किया और वास्तव में कड़ी मेहनत करी। इससे उसके माता-पिता को उस पर गर्व महसूस हुआ। शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है और सभी के जीवन का एक उपयोगी हिस्सा है|

संपूर्ण विश्व वैश्विक संकट में है| पूरी दुनिया में लॉकडाउन है| बड़ी कंपनियां, स्कूल, कॉलेज, कारखाने बंद हो गए हैं। हम इस लॉकडाउन में हैं और स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, तब भी कार्यालय और स्कूलों ने इस नए सामान्य से निपटने के लिए काम करना शुरू कर दिया है और पढ़ाने के कई तरीके ढूंढ लिए हैं| सभी स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों ने अपने छात्रों को ऑनलाइन शिक्षण प्रदान करना शुरू कर दिया है। साक्षरता इस वैश्विक संकट में भी इंतजार नहीं करेगी। हर स्कूल ने ऑनलाइन सीखने को संभव बनाने के लिए पहल की है और इसे संभव बना दिया है। स्कूल के शिक्षक और प्रबंधक पढ़ाने के लिए अपरंपरागत तरीकों का उपयोग कर रहे और स्कूलों को मोबाइल और लैपटॉप के माध्यम से आसानी से सुलभ बनाया है। सभी शिक्षक नियोजित टाइम-टेबल के अनुसार पढ़ा रहे हैं। न केवल अकादमिक शिक्षा है, बल्कि सह-पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियाँ भी हो रही हैं जिसमे हम सभी, बहुत उत्साह से भाग लेते हैं। मैं इस लॉकडाउन में भी एक लर्निंग मोड में रही हूं| शिक्षा कभी रुकती नहीं है, और यह एक नदी की तरह है, जैसे नदी हमेशा निरंतर बहती रहती है, शिक्षा भी कभी नहीं रुकती, यह असीमित है।

साक्षरता इस वैश्विक संकट के दौरान इंतजार नहीं कर सकती - अतः सभी का साक्षर होना बहुत अनिवार्य है |

पढ़ो पढ़ाओ, देश बनाओ |

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